Political line drawn in India on Israel-Palestine

इजरायल और फलस्तीन के बीच संघर्ष एक ऐसा मुद्दा है जो पिछले कई दशकों से जारी है। इस मुद्दे पर भारत की स्थिति हमेशा से तटस्थ रही है, लेकिन हालिया घटनाक्रमों के बाद भारत में इस मुद्दे पर सियासी लकीरें खिंचने लगी हैं। आईए जानते हैं भारत के किसी राजनीतिक पार्टी ने किसे समर्थन किया है।

भारतीय जनता पार्टी (BJP)

भाजपा ने इजरायल के समर्थन में स्पष्ट रुख अपनाया है। पार्टी ने इजरायल के हमलों की निंदा नहीं की है, और यहां तक ​​कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बात भी की है। भाजपा ने यह भी कहा है कि भारत इजरायल की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress)

कांग्रेस ने फलस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की है। पार्टी ने इजरायल के हमलों की निंदा की है, और फलस्तीन के लोगों के लिए मानवीय सहायता की पेशकश की है। कांग्रेस ने यह भी कहा है कि भारत को शांतिपूर्ण समाधान के लिए काम करना चाहिए।

आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM)

एआईएमआईएम ने फलस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की है। पार्टी ने इजरायल के हमलों की कड़ी निंदा की है, और फलस्तीन के लोगों के लिए भारत सरकार से अधिक सहायता की मांग की है। एआईएमआईएम ने यह भी कहा है कि भारत को फलस्तीन के लोगों के अधिकारों के लिए खड़े होना चाहिए।

तृणमूल कांग्रेस (TMC)

TMC ने फलस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की है। पार्टी ने इजरायल के हमलों की निंदा की है, और फलस्तीन के लोगों के लिए मानवीय सहायता की पेशकश की है। TMC ने यह भी कहा है कि भारत को शांतिपूर्ण समाधान के लिए काम करना चाहिए।

यशवंत सिन्हा

पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने इजरायल के हमलों की निंदा की है। उन्होंने कहा कि इजरायल के हमले अवैध और अमानवीय हैं। सिन्हा ने यह भी कहा कि भारत को फलस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त करनी चाहिए।

असदुद्दीन ओवैसी

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि भारत को फलस्तीन के लोगों के साथ एकजुटता दिखानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मुसलमानों का नहीं, बल्कि मानवीय मुद्दा है। ओवैसी ने यह भी कहा कि भारत को इजरायल के खिलाफ प्रतिबंध लगाने चाहिए।

निष्कर्ष–

इजरायल-फलस्तीन संघर्ष एक जटिल मुद्दा है, जिसमें कोई आसान समाधान नहीं है। भारत इस मुद्दे पर तटस्थ रहने की कोशिश करता है, लेकिन हालिया घटनाक्रमों के बाद भारत में इस मुद्दे पर सियासी लकीरें खिंचने लगी हैं। यह देखना होगा कि भारत इस मुद्दे पर भविष्य में क्या रुख अपनाता है।