Chaand ko maama hee kyon kaha jaata hai?: आपने बचपम में यह कविता तो जरूर सुनी होगा “चंदा मामा दूर के, पुए पकाए गुड के, आप खाएं थाली में, मुन्ने को दें प्याली में…”. भारत की हर मां ने कभी ना कभी अपने बच्चे को यह कविता जरूर सुनाई होगी. जिसमें आपको चांद को मामा के रूप में संबोधित किए जाने का जिक्र मिलेगा. यहां तक कि आप देखेंगे कि सूरदास के पदों से लेकर कहानी की हर किताब में हम चांद को प्यारे मामा की ही उपाधी देते आए हैं. लेकिन क्या आपने इतने सालों में कभी यह सोचा है कि आखिर चांद को मामा की उपाधी ही क्यों दी गई है, चाचा या फूफा की क्यों नहीं. दरअसल, बता दें कि इसके पीछे भी बेहद खास वजह छिपी है. ऐसे ही चांद को मामा नहीं कहा जाता है. दोस्तों इसी कड़ी में इस आर्टिकल के माध्यम से मैं आप सभी को इसका सटीक जवाब दूंगा और क्यों कहा जाता है मामा यह आपको आज कंफर्म रूप से पता चल जाएगा तो आइए इस आर्टिकल में अंतिम तक बने रहिए और इसका आनंद उठाइए।
इसलिए कहते हैं चंद्रमा को हम सभी अपना मामा – chaand ko maama hee kyon kaha jaata hai?
दरअसल, बात जुडी हुई है हिंदू पौराणिक कथाओं से. जिस समय देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हो रहा था, उस समय समुद्र के अंदर से कई तत्व बाहर निकले थे. इन तत्वों में मां लक्ष्मी, वारुणी, चन्द्रमा और विष शामिल थे. समुद्र मंथन से निकलने के बाद माता लक्ष्मी भगवान श्री विष्णु के पास चली गई थी. अब हिंदू मान्यताओं के अनुसार, हम सभी लक्ष्मी जी को अपनी माता मानते हैं. इसलिए ऐसे में समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी के निकलने के बाद निकलने वाले सभी तत्वों को उनका छोटा भाई या उनकी छोटी बहन माना गया. और चंद्रमा मां लक्ष्मी के बाद समुद्र मंथन से निकले थे, इसलिए वह मां लक्ष्मी के छोटे भाई कहलाए. अब हम सब माता लक्ष्मी को अपना मां मानते हैं, इसलिए उसी नाते से चंद्रमा हम सभी के मामा हुए, और यही कारण है कि भारत की हर मां चंद्रमा को अपना भाई यानी अपने बच्चे का मामा कहती है.
चंद्रमा को मामा कहने की है एक और वजह
इसके अलावा चंद्रमा को मामा कहने के पीछे एक दूसरी वजह भी है. दरअसल, हम सभी जानते हैं कि चांद पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है और दिन-रात उसके साथ एक भाई की तरह रहता है. अब चूंकि हम सभी धरती को भी अपना ‘मां’ ही मानते हैं इसलिए ऐसे में उनके भाई यानी चंद्रमा हमाारे मामा हुए. इसलिए भी हम सभी चंद्रमा को अपना मामा कहते हैं.