pahale murgee aaee ya anda?

Pahale murgee aaee ya anda?: दोस्तों एक ऐसा सवाल जिस के जवाब नहीं हो सकते या इसका जवाब देना थोड़ा डिफिकल्ट होता है इसको लेकर काफी समय से लोग गूगल में इसका जवाब सर्च करते रहते हैं। दोस्तों जैसा कि आपने टाइटल में देखा होगा हम बात कर रहे हैं पहले मुर्गी आया या अंडा इसका जवाब तलाशने का तो आइए इस आर्टिकल के माध्यम से आपको इसका सटीक जवाब देने का प्रयास करते हैं।

Pahale Murgee Aaee Ya Anda?

ये सवाल कि ‘पहले क्या आया: अंडे या मुर्गी?’ सालों से पूछा जाता रहा है. लंबे समय से इस सवाल को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते रहे हैं. लेकिन अब वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने इस पहेली को सुलझा लिया है. तो आइए जानते हैं कि धरती पर कौन पहले आया, मुर्गी या अंडा? वैज्ञानिकों ने इस सवाल का क्या जवाब दिया है.

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ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, द टाइम्स के अनुसार, आधुनिक पक्षियों और सरीसृपों के शुरुआती पूर्वजों ने अंडे देने के बजाय जीवित युवाओं को जन्म दिया होगा. मतलब धरती पर पहले अंडा नहीं बल्कि मुर्गा-मुर्गी आए. खोज का विवरण देने वाला एक अध्ययन जर्नल नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित हुआ है. लेकिन, फिर भी लोगों को इस बात पर यकीन नहीं हो रहा है.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हजारों साल पहले मुर्गा-मुर्गी ऐसे नहीं होते थे जैसे आज है. वे अंडे नहीं बल्कि पूर्ण विकसित बच्चों को जन्म देते हैं. इसके बाद इनमें लगातार बदलाव आता गया. पूर्ण विकसित बच्चा देने वाले मुर्गे-मुर्गियों में अंडा देने की क्षमता भी विकसित हो गई. इसे से साबित हो जाता है कि पहले अंडा नहीं बल्कि मुर्गा-मुर्गी आए.

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रिसर्चर्स ने दावा किया है कि बच्चे को जन्म देने की क्षमता का अलग-अलग होना एक्सटेंडेड एम्ब्रायो रेटेंशन की वजह से होता है. चिड़िया, मगरमच्छ और कछुए ऐसे अंडे देते हैं, जिन्में ब्रूण ज़रा भी नहीं बना होता है. बल्कि बाद में तैयार होता है. लेकिन, कुछ जीव ऐसे होते हैं जो अंदर से ही भ्रूण के विकास के साथ अंडे देते हैं. सांप और छिपकली अंडे तो देते ही हैं, लेकिन वे बच्चों को भी जन्म दे सकते हैं क्योंकि उन्हें हैचिंग की जरूरत नहीं होती.

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल के स्कूल ऑफ अर्थ साइंसेज के नेतृत्व में किए गए शोध में 51 जीवाश्म प्रजातियों और 29 जीवित प्रजातियों का अध्ययन किया गया, जिन्हें ओविपेरस के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो कठोर या नरम-खोल वाले अंडे देते हैं, या विविपेरस हैं, जो आउटलेट के अनुसार जीवित युवाओं को जन्म देते हैं.

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अध्ययन से पता चला है कि स्तनधारियों सहित एमनियोटा की सभी शाखाएं विस्तारित अवधि के लिए अपने शरीर के भीतर भ्रूण को बनाए रखने के संकेत दिखाती हैं.

जबकि कठोर खोल वाले अंडे को अक्सर विकास में सबसे महान नवाचारों में से एक के रूप में देखा गया है, इस शोध का अर्थ है कि यह विस्तारित भ्रूण प्रतिधारण था जिसने जानवरों के इस समूह को परम सुरक्षा प्रदान की.

ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर माइकल बेंटन ने कहा कि एमनियोट्स से पहले, मछली के पंखों से अंगों को विकसित करने वाले टेट्रापोड्स मोटे तौर पर उभयचर थे. उन्हें खाने और प्रजनन के लिए पानी में या उसके पास रहना पड़ता था. जैसा कि मेंढक या सैलामेंडर जैसे आधुनिक उभयचरों में होता है.