Amritpal Singh Arrest: अमृतपाल सिंह को पकड़ने के लिए 36 दिनों से चल रही तलाश आखिरकार खत्म हुई. रविवार 23 अप्रैल को पंजाब पुलिस ने मोगा के रोडेवाल गुरुद्वारे के बाहर सुबह पौने सात बजे उसे गिरफ्तार किया. अमृतपाल सिंह को भगोड़ा कहा जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि किसी भी आरोपी को भगोड़ा कब घोषित किया जाता है? इसको लेकर कानून का क्या कहना है? आइए समझते हैं.
कब किसी को भगोड़ा घोषित किया जाता है
अगर किसी आरोपी के खिलाफ कोर्ट की ओर से गैर जमानती वारंट जारी हो जाता है और कई बार नोटिस और समन मिलने के बाद भी अगर आरोपी कोर्ट में या पुलिस के सामने सरेंडर नहीं करता है. तो CRPC की धारा 82 के तहत फरार आरोपी की घोषणा की जाती है. भले ही आम भाषा में ऐसे व्यक्ति को ‘भगोड़ा’ कहा जाता है, लेकिन कानून की भाषा में इसे ‘फरार व्यक्ति की उद्घोषणा’ शब्द इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे मामलों में अगर आरोपी देश छोड़कर भागता है या भागने की कोशिश करता है, तो उसे भगोड़ा घोषित कर दिया जाता है.
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किस तरह के अपराध इसमें शामिल हैं?
इसके तहत बेनामी लेन-देन करना, मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स की चोरी करना, नकली सरकारी स्टाम्प या करंसी तैयार करना, लेन-देन के मामले में धोखाधड़ी करने जैसे कई मामले आते हैं. किसी आरोपी को भगोड़ा घोषित करने के बाद अदालत की ओर से कभी भी आरोपी की सम्पत्ति को कुर्क करने का आदेश जारी किया जा सकता है. CrPC की धारा 83 में ऐसा करने का प्रावधान है.
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वकील को देना होता है जवाब
भगोड़ा घोषित होने पर अगर अपराधी खुद पेश हो जाता है, तो विशेष अदालत उसके खिलाफ होने वाली कार्यवाही को खारिज भी कर सकती है. अगर वो खुद पेश न होकर अपने वकील को भेजता है, तो वकील को एक हफ्ते के भीतर यह बताना होगा कि आरोपी पेश कब होगा. अगर ऐसा नहीं होता है तो कुर्की की कार्रवाई शुरू की जा सकती है.
आरोपी के पास क्या विकल्प हैं?
भगोड़ा घोषित होने के बाद आरोपी विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील कर सकता है. गौरतलब है कि विशेष अदालत के आदेश के 30 दिन के भीतर हाई कोर्ट में अपील करनी होती है. अगर आरोपी देरी करता है तो उसे देरी की वजह भी बतानी होगी.